लेखनी कहानी -02-Feb-2024
शीर्षक - मजबूर जज
मजबूर जज आज हम सभी जानते हैं की कल्पना और कहानी एक शब्दों के साथ हम लिखते हैं परंतु आज आधुनिक और कलयुग को हम सभी मानव और समाज जानते हैं भला ही हम पद से मजबूर जज है डॉक्टर हैं इंजीनियर हैं या हम देश के नेता हैं राजनीतिक हैं सभी को कुदरत के नियम और दर्द जो सांसारिक होते हैं। सभी के दुख दर्द और सभी की मजबूरी अपनी-अपनी होती है हम सभी कोई हमसे हमारा हाल पूछे तब हम यही जवाब देते हैं भैया ठीक हूं भला ही हम परेशान दुखी हो फिर भी हम ठीक हूं कहते हैं बहुत कम लोगों से हम अपने परेशानी और दुख साझा करते हैं यही कहानी मजबूर जज एक पदगरिमा के साथ हम कल्पना और सामाजिक सोच के साथ शब्दों में कहानी लिखते हैं हो सकता है यह कहानी किसी की जीवन से छू जाए परंतु यह हमारी स्वयं की स्वरचित कल्पना है और इसे हम किसी के जीवन से मिलती घटना को एक इत्तेफाक कह सकते हैं आओ मजबूर जज कहानी पढ़ते हैं और हम अपने विचार और प्रतिक्रिया जरूर लेखक के उत्साह वर्धन के लिए करेंगे.…....... मजबूर जज अमन एक इंटरमीडिएट क्लास का पढ़ने वाला स्टूडेंट था और वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और एकल था बेटे होने के साथ-साथ उसके घर में उसकी सारी इच्छाएं पूरी होती थी परंतु अमन एक समझदार बच्चा भी था मैं कभी भी अपने पैसे अपने एक इकलौता होने का घमंड या अहम नहीं रखता था। अमन में एक कमी थी सबकी मदद और सहायता करता था। और जब हमारी उम्र ऐसी होती है तब हम सहायता करने के साथ-साथ कुछ राह से भटक भी जाते हैं। परंतु राह से भटक जाना भी एक अलग बात होती है और कुछ लोग ऐसे लोगों से ईर्ष्या और छल फरेब भी रखते हैं। अमन समाज के जय ल फरेब से बेख़बर था। और एक दिन कुछ लोगों ने अमन के मोबाइल फोन से किसी लड़की को फोटो वयस्क भेज दिए और अमन इस बात से भी खबर था जब अमन अपने घर सोया हुआ था। तब रात में उसके घर पुलिस आ जाती है उसकी माता-पिता नादान और ना समझ वह समझ नहीं पाते हैं कि मामला क्या है और अमन को पुलिस गिरफ्तार करके ले जाती है जबकि अमन नाबालिग था फिर भी उसे पर एक कैसे बन जाता है। और अमन को सूचना प्रौद्योगिकी के केस में जेल हो जाती है। अमन की माता-पिता की एक पुराने जानकार जज होते हैं। माता-पिता उनसे सलाह मशविरा लेते हैं। परंतु मजबूर जज हो जाता है क्योंकि सारे सबूत अमन के खिलाफ थे और मजबूर जज अमन की दोस्त होने के साथ-साथ भी न्याय को झूठ नहीं कर सकते थें। मजबूर जज इसलिए थे कि वह जानते थे अमन को झूठा फसाया जा रहा है परंतु सारे सबूत अमन के खिलाफ थे और भी अमन के माता-पिता को अमन को बचाने का आश्वासन भी नहीं दे पाए और एक मजबूर जज की तरह अमन के माता-पिता को न्याय प्रक्रिया के साथ अमन को अपराधी मानने के लिए कह देते हैं। सच आज की कहानी में हमारा संदेश मजबूर जज के साथ देश की न्याय प्रक्रिया को भी कहने का अवसर है। क्योंकि हमारे देश की न्याय प्रक्रिया सबूत और ग्वाह के आधार पर चलती है। और अगर हम सच भी हैं तब सबूत आपके विरुद्ध है तब भी आप ही दोषी माने जाएंगे। और सच सबूत के साथ-साथ अगर हमारे घर की न्याय व्यवस्था है। सच और कल्पना के साथ शब्दों में हम यही कह सकते हैं की हम सबूत के बिना पर सच होने के बावजूद भी न्याय प्रक्रिया में अपराधी बन सकते हैं और मजबूर जज हमारे जानकार भी हो सकते है।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
Milind salve
05-Feb-2024 02:35 PM
Nice
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Gunjan Kamal
03-Feb-2024 11:19 PM
👏👌
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Mohammed urooj khan
03-Feb-2024 03:38 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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